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Karlo Dunia Mutthi Mein

दुनिया आपके मुट्ठी में

एक गाँव के मंदिर में एक संत रहते थे। आस पास के गाँव के लोग अक्सर उनके पास जाकर के सत्संग का लाभ उठाते। उनके नेक एवं सटीक बातें लोगों को काफ़ी प्रोत्साहित करती और साथ ही लोगों को दैनिक जीवन की कठिनाइयों और संघर्षों का सामना करने के लिए प्रेरणा भी देती।जब भी गाँव के लोग किसी संकट या उलझन में फँसा महसूस करते, वे तुरंत ही संत के पास जाते और संत उन्हें यथोचित सलाह देकर उन्हें निस्वार्थ मदद करने की कोशिश करते। यहाँ तक की अगर लोगों के बीच कुछ आपसी मतभेद या लड़ाई होती तो वे संत के पास जाते और उन्हें एक उपयुक्त और सर्वमान्य न्याय मिल जाती। इस कारण से गाँव के लोग संत के प्रति काफ़ी आदर और सम्मान की भावना रखते थे।

उनके प्रति लोगों का प्यार और विश्वास देखकर उस गाँव के कुछ नवयुवक काफ़ी ईर्ष्या महसूस करते। वे आपस में हमेशा यह बात करते रहते की हमारे पास इतनी सारी योग्यता है, हम पढ़े लिखे हैं, और हमें दुनियादारी की इतनी अच्छी समझ है फिर भी गाँव के लोग हमें कोई इम्पॉर्टन्स नहीं देते है और हमेशा इस संत के पास राय मशविरा के लिए पहुँच जाते हैं।

गाँव के युवक हमेशा ही संत की महत्ता के बारे में चर्चा करते और स्वयं को व्यथित महसूस करते। एक बार उन्होंने सोच की क्यों न इस संत की असलियत लोगों के सामने लाया जाए। क्यों न लोगों को यह बताया जाए की ये कोई चमत्कारी संत नहीं बल्कि एक साधारण आदमी ही हैं।आपस में डिस्कशन करके वे इस निर्णय पर पहुँचे की वे अगले दिन जब सारे लोग संत के पास बैठकर सत्संग कर रहे होंगे तभी वो सब साथ में जाकर संत का भांडा फोड़ेंगे।

वे सब संत के पास पहुँचे और अनुग्रह किया, “आप तो बहुत बड़े महात्मा और संत हैं। लोगों पर आपकी बड़ी श्रद्धा और विश्वास है। तो आप यह बताइए की हमारे दोनों हथेलियों के बीच में एक तितली बंद है, वो तितली ज़िंदा है या मरी हुई है।

संत ने गौर से नवयुवकों के तरफ़ देखा और उनके मंसा को समझने में उन्हें तनिक भी देरी नहीं लगी। संत ने उनसे कहा, “बच्चों, आपके हथेलियों के बीच में जो तितली बंद है वह ज़िंदा है या मरा हुआ है यह पूर्ण रूप से आपके मनःस्थिति पर निर्भर है।तितली ज़िंदा तब तक है जब तक आप अपने हथेली के बीच में उसे सहेज कर रखे हुए हैं। अगर आप चाहें तो अपने हथेलियों को ज़रा सा कस दें और तितली तुरंत ही मर जाएगी।

यह तितली ठीक उसी तरह है जैसे आपके पास असीम ऊर्जा, ज्ञान और टैलेंट है लेकिन आप उसे घृणा, नफ़रत, अकर्मण्यता और तलमटोल की आदत से पीड़ित होकर बर्बाद कर रहे हो जबकि आप उनका सदुपयोग करके एक अच्छी ज़िंदगी जी सकते हो, अपने परिवार, अपने समाज और अपने देश का नाम रौशन कर सकते हो।”

सारे उपस्थित लोगों ने मिलकर तालियाँ बजानी शुरू कर दी। नवयुवकों को संत की महानता और जीवन को सफल बनाने की कुंजी हाथ लग गयी।

तो क्या आप भी अपने गुणों को, अपने ज्ञान को और अपनी क्षमताओं को अपने मुट्ठी में बंद किए हुए है और उसे बर्बाद कर रहे हैं या उसका सदुपयोग करके स्वयं का, अपने परिवार का, अपने समाज का और अपने देश का नाम रौशन करने के दिशा में सदुपयोग कर रहे हैं?

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