विषमता में समता का परिचायक अद्भुत शिव परिवार
भगवान् शिव के परिवार में शिव सहित माता पार्वती, कार्तिकेय, और गणेश हैं.
फिर शिव की सवारी नंदी बैल है, माता पार्वती की सवारी सिंह है, कार्तिकेय की सवारी मोर है और गणेश की सवारी मूषिक है।
भगवान् शिव के गले में सर्प है।
विषमता के वातावरण में भी समता कैसे स्थापित की जाये इसकी एक अद्भुत परिचायक है शिव परिवार। स्वाभाव से मोर साँप का दुश्मन होता है, सिंह के लिए बैल एक सर्वप्रिय आहार और सांप का तो मुख्या भोजन मूषिक ही है।
और अगर समताएँ देखें तो माता पार्वती शिव से कथाएं भी सुनती हैं, शक्ति रूप में दानवीय शक्तियों का संहार भी करती हैं, भगवान् शिव के साथ चौपड़ भी खेलती हैं और भांग भी घोटती हैं।
कार्तिकेय शौर्य ,पराक्रम ,यौवन और विजय के देवता के रूप में पूजनीय हैं।
गणेश जी तो हर घर की में प्रथम पूजनीय है – सबको प्रिय, सबके उद्धारक और प्रथम पूजनीय। इन्हें सारी दुनिया अपने माता पिता के नजदीक ही नजर आती है।
भगवान् शिव देवाधिदेव हैं। हलाहल विष को अपने कंठ में दबाये हुए हैं। परिवार का मुखिया सारी विषमताओं को पूर्ण दक्षता से परिचालन करने में सक्षम व तत्पर है इसीलिए शिव परिवार सम्पूर्ण संसार के परिचालन में सदैव तत्पर हैं और हम
सब को प्रिय भी। क्योंकि सत्य ही शिव है। शिव ही सुंदर है।
तो आप भी अपने परिवार के शिव बनिए। परिवार की समता और विषमता को शांति, सुगमता और सामन्जस्यता पूर्वक परिचालित कीजिये। भगवान् शिव और उनके परिवार की पूर्ण कृपादृष्टि आप पर सदैव बनी हुई है।
हर हर महादेव संभु काशी विश्वनाथ गंगे।