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Puja Vidhi

The significance of Red protruding tongue of Goddess Kaali

Raktabija was awarded the boon that whenever a drop of his blood will touch the ground, a great austerity, in that very same place a new

Raktabija would be born with the same vitality, courage and strength with the same capacity to captivate the mind. Raktabija literally translates as the Seed of Desire.

See how he manifests in action. In order to accomplish his desire, he multiplies into countless new desires with the same intensity, the same capacity of captivating the mind, all of which seek fulfilment as well.

As we find desire for one thing, one drop of blood has touched the ground, and immediately, automatically, a new ‘something’ is required in order to fulfil that desire. Another drop.

This goes on indefinitely, causing a continual necessity to act. Every time a Seed of Desire touches the ground, a new Seed of Desire is born in that very same place. Ultimately the entire earth has been filled with Seeds of Desire.

Divine Mother killed the demon by drinking up his blood before it falls on the earth and making him blood less. We in our life pray to Goddess Kaali for garnering her blessings to help us kill the seed of desire from our mind before it  gives birth of another desire.

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क्या आप धार्मिक हैं?

यतो अभ्युदयनिःश्रेयससिद्धिः स धर्मः। (कणाद, वैशेषिकसूत्र, १.१.२)
धर्म वह मार्ग है जिस पर चलकर हमें लौकिक और पारलौकिक उन्नति एवं कल्याण की प्राप्ति होती है।
धर्म कोई उपासना पद्घति नहीं बल्कि जीवन-पद्घति है।
धर्म दिखावा नहीं, दर्शन है
यह प्रदर्शन नहीं, प्रयोग है।
यह मनुष्य को आधि, व्याधि, उपाधि से मुक्त कर सार्थक जीवन प्रदान करने वाली औषधि है।
धर्म वह विज्ञान है जिससे स्वयं द्वारा स्वयं की खोज कर सकते है।
धर्म, ज्ञान और आचरण की खिड़की खोलता है।
यह आपको को पशुता से मानवता की ओर प्रेरित करता है।
अनुशासन का अनुशरण ही धर्म है।
हृदय की पवित्रता ही धर्म का वास्तविक स्वरूप है।
धर्म का सार जीवन में संयम का होना है।

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ईश्वर सर्वत्र हैं तो दिखाई क्यों नहीं देते

संत नामदेव तेरहवीं सदी के एक प्रसिद्द संत थे। एक रोज उनके शिष्यों ने पूछा, “आप कहते हैं की ईश्वर सब जगह है तो दिखाई क्यों नहीं देता?”
संत नामदेव ने शिष्य से एक ग्लास पानी और एक चम्मच नमक लेकर आने को कहा। जब शिष्य पानी और नमक लेकर आया तो उन्होंने नमक को पानी में दाल देने के लिए कहा। शिष्य ने ऐसा ही किया। फिर नामदेव ने उनसे पूछा, “क्या तुम्हे पानी में नमक दिखाई दे रहा है?” शिष्य, “नहीं।”
नामदेव ने एक शिष्य को पानी चखने को कहा और स्वाद पूछा तो शिष्य ने उत्तर दिया, “पानी नमकीन लग रहा है। “
नामदेव ने फिर शिष्य से पानी को उबलने के लिए कहा. थोड़ी देर में पानी उबालकर भाप बन गया और बर्तन में नमक शेष रह गया। नामदेव ने पूछा, “क्या तुम्हे अब नमक दिखाई दे रहा है?”
शिष्य ने हामी में सर हिला दिया।

संत नामदेव मुस्कुराते हुए बोले, ” जिस प्रकार तुम पानी में नमक का स्वाद तो अनुभव कर पाये पर नमक को देख नहीं पाये उसी प्रकार इस जग में तुम्हे ईश्वर हर जगह दिखाई नहीं देता पर तुम उसे अनुभव कर सकते हो। और जिस तरह अग्नि के ताप से पानी भाप  बन कर उड़ गया और नमक दिखाई देने लगा उसी प्रकार तुम भक्ति ,ध्यान और सत्कर्म द्वारा अपने विकारों का अंत कर भगवान को प्राप्त कर सकते हो।”

भक्ति कीजिये, सत्संग कीजिये, ईश्वर के लीलाओं को अध्ययन मनन कीजिये, अभिमान रहित होकर गुरू की सेवा कीजिये, श्रद्धा प्रेम व लगन के साथ प्रभु नाम जपिये, दृढ विश्वास से मन्त्र का जाप कीजिये,  भगवान का सुमिरन करिये, सम्पूर्ण संसार में भगवन की अनुभूति कीजिये, संतोष पूर्ण जीवन जियें और  छल कपट से दूर रहिये। फिर ईश्वर सर्वव्यापी और सर्वत्र दिखेंगे।

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भक्ति सूत्र

भक्ति हमारी आत्मा और ईश्वर के बीच एक अटूट कड़ी स्थापित करने वाली सेतु है।  भक्ति हम ईश्वर का ध्यान, जप, दर्शन, व् पूजा में से किसी भी मार्ग को जो हमें उचित प्रतीत हो उस माध्यम से कर सकते हैं या सारे मार्ग का भी यथोचित व् यथासमय उपयोग कर सकते हैं।

भक्ति का लाभ हमें समर्पण (तृष्णा और कामना),  प्रपन्नाता (अहमता एवं अहंकार)) से मुक्ति और प्रेम की अथाह वृद्धि के रूप में ही प्राप्ति होती है।

तुलसीदास रामायण में कहते हैं:
अर्थ न धरम  न काम रूचि, गति न चहु निरबान
जनम जनम रति राम पद ये बरदान मम आन

मेरे मन में धन का लोभ, कामनाओं के प्रति रूचि, जनम मरण के गति से मुक्ति मिले और राम के शरण में शरणगति प्राप्त हो जाए.

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Pray everyday

Pray everyday so that you attract the spiritual forces to grant you.
Freedom to be yourself.
Victory to the ailments and eliminating the evils.
Fame to stand tall and hold your head high.
Capacity to destroy all the hostility that causes disruption in the life and living of you and everyone else.

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