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यूँ घूर घूर कर मुझे देखा न करो

कुछ दिन पहले  एक कॉलेज स्टूडेंट से बात हो रही थी तो वो कह रही थी कि किस तरह पुरुष वर्ग लड़कियों पर तंज कसते हैं, उन पर अभद्र व्यंग करते हैं, ललचाई नजरों से घूरते हैं और कभी कभी तो अश्लील हरकतें भी करने को उन्मादित होते हैं। इसे लड़की ताड़ना कहते हैं।
मैं जब भी ऐसे वाक़या के बारे में सुनता हूँ या ऐसा करते हुए युवकों को देक्ठा हूँ  मुझे रामचरित मानस की एक चौपाई और राम लक्ष्मण के जनकपुर भ्रमण वाली प्रसंग याद आ जाती है। प्रसंग कुछ ऐसे है
हियँ हरषहिं बरषहिं सुमन सुमुखि सुलोचनि बृंद।
जाहिं जहाँ जहँ बंधू दोउ तहँ तहँ परमानन्द।।
राम विश्वामित्र के संग मिथिला पँहुचते है। शाम के समय विश्वामित्र जी राम और लक्ष्मण के साथ सत्संग के लिए बैठते हैं। लक्ष्मण जी का मन सत्संग में नहीं लग रहा क्योंकि उनके मन में अयोध्या घूमने की कौतुहलता है। राम यह भांप लेते हैं और गुरु जी से शहर देखने जाने के अनुमति का अनुग्रह करते हैं। गुरु जी यह जान लेते हैं की भगवन की इच्छा अपने गुण शील और ज्ञान युक्त मिथिला के भक्तों को दर्शन देने की है तो उन्हें आज्ञा दे देते हैं।
राम लक्ष्मण नगर की ओर चल देते हैं। बच्चे उनके पीछे पीछे, पुरुष सड़क के दोनों ओर और नगर की नारी वर्ग अपने घरों के छत से भगवान् के दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं। उनके मनोहर छवि की एक झलक पाने को सब लालायित हैं। राम और लक्ष्मण बिना इधर उधर देखते हुए नगर भ्रमण कर रहे हैं । स्त्रियों को भगवान के मुख का दर्शन नहीं हो पा रहा और इसलिए वो थोड़े उदास हैं, वो आपस में उपाय सोच रही है कि किशोर राम और लक्ष्मण के मुख का दर्शन कैसे किया जाए।
फिर एक स्त्री उपाय बताती है – “अरे सखी अपने अपने बेनी के फूल निकालकर हम उनके ऊपर फेंकते है ताकि वो नजर ऊपर की तरफ करें और हमें उनका दिव्य दीदार हो जाए। सारी स्त्रियाँ ऐसा ही करती हैं भगवान् के ऊपर सुन्दर और सुगन्धित पुष्पों की वर्षा होती है और भगवान् अपनी नजर ऊपर के तरफ करते है और उनके मुखावलोकन से नारियाँ मन्त्र मुग्ध हो जाती है।
तो अगर आपको किसी को आकर्षित करना है तो अच्छे गुण शील और ज्ञान की शक्ति स्वयं में ओजश्वित करो। छिछोड़ेपन से खुद को कलंकित क्यों करते हो।