skip to content

डरो मत

“हमारे संदेह गद्दार हैं। हम जो सफलता प्राप्त कर सकते हैं, वह नहीं कर पते, क्योंकि संशय में पड़कर प्रयत्न ही नहीं करते। ” शेक्सपियर
अभी कुछ दिनों पहले राहुल गाँधी ने सारे देवी देवताओं के प्रतिमाओं के वरदहस्त रूप के ओर इशारे करते हुए कहा की वे हमें कहते हैं कि “डरो मत।”
वास्तव में भविष्य में उत्पन्न होनेवाली चिंता और कठिनाई के बारे में सोचकर काफी लोग कुछ निर्णय ही नहीं लेते है।बीते हुए कल का पश्चात्ताप और आने वाले कल की चिंता कइयों को अकर्मण्य बना देती है।
जीवन बहूत सुन्दर है, बहूत शानदार है और असीम संभावनाओं से परिपूर्ण भी है। हममे वो सारी खूबियां मौजूद है जिसके बूते हम कुछ भी थान लें तो उसे पूरा कर सकते हैं। जरूरत यह है हम भविष्य में आनेवाली संकट की परवाह न करें और प्रसन्न रहें।
जबतक दुर्गम रास्ते पर करने की नौबत न आये, उसके बारे में व्यर्थ चिंता न करें, यह मत सोचें कि रास्ता कैसे पर होगा। भगवान् पर भरोसा रखें, प्रसन्न रहें, मन में विश्वास को ओजस्वित रखें और अपना कर्म करते रहें।
जीवन एक ईश्वरीय उपहार है, जीवन सुन्दर है, जीवन शानदार है। हमारा उद्देश्य इसे और सुखी और शानदार बनाना है। हम दासता और भय को दूर करें तो सुख, समृद्धि और सफलता हमारे पाँव चूमेगी।