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बूँद जो मोती बने

बारिस की एक बूँद समुद्र में गिर जाने के कारण रोने लगी। समुद्र ने मुस्कुराते हुए कहा: “यहाँ तुम अपने भाई बहनों के साथ हो।

एक विशाल परिवार का हिस्सा। अलग होने के लिए एक छलांग लगाने की देरी है उड़ तो जाओगे लेकिन भांप बनकर बिखड़ भी।

आना तो तुझे फिर भी है :- “किसी किसान के खेत में, या किसी नाले में, या किसी तालाब में या की गंगा में गंगाजल बनकर या फिर किसी प्यासे के लिए वरदान बनकर उसके लोटे में।”