श्रीकृष्ण कहते हैं:
“गुरु वचनों के श्रवण से ज्ञान की प्राप्ति होती है और अर्जित ज्ञान का जब हम मनन, साक्षात्कार बोध और अभ्यास के माध्यम से सम्पूर्णता से ग्रहण करते हैं तो वह विज्ञान हो जाता है।
जिनमें ज्ञान और विज्ञान दोनों की स्थापना हो जाती है वैसे परमज्ञानी पुरुष के लिए धूल, पत्थर, सोना सब एक समान हो जाता है।
श्रीकृष्ण कहते हैं की ऐसे परमज्ञानी योगी को हममें, तुममें, खड्ग, खंभ में।घट, घट सिर्फ़ ईश्वरीय ऐश्वर्य की ही अनुभूति और अनुभव होती है।”