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क्या आप धार्मिक हैं?

यतो अभ्युदयनिःश्रेयससिद्धिः स धर्मः। (कणाद, वैशेषिकसूत्र, १.१.२)
धर्म वह मार्ग है जिस पर चलकर हमें लौकिक और पारलौकिक उन्नति एवं कल्याण की प्राप्ति होती है।
धर्म कोई उपासना पद्घति नहीं बल्कि जीवन-पद्घति है।
धर्म दिखावा नहीं, दर्शन है
यह प्रदर्शन नहीं, प्रयोग है।
यह मनुष्य को आधि, व्याधि, उपाधि से मुक्त कर सार्थक जीवन प्रदान करने वाली औषधि है।
धर्म वह विज्ञान है जिससे स्वयं द्वारा स्वयं की खोज कर सकते है।
धर्म, ज्ञान और आचरण की खिड़की खोलता है।
यह आपको को पशुता से मानवता की ओर प्रेरित करता है।
अनुशासन का अनुशरण ही धर्म है।
हृदय की पवित्रता ही धर्म का वास्तविक स्वरूप है।
धर्म का सार जीवन में संयम का होना है।